मांस या घास क्या खाएं और क्यों खाएं ?




यह बहुत पुराना विषय है की मनुष्य को घास  खाना चाहिए या मांस खाना चाहिए जैसा कि आप सभी जानते हैं मानव और बंदर दोनों का शारीरिक ढांचा लगभग लगभग एक जैसा है बंदर पूर्णता शाकाहारी पशु है और जो मांसाहारी जानवर है उनका शारीरिक ढांचा विशेष तौर पर पेठ या कहे छोटी आत बड़ी आंत असमान है मांसाहारी जानवर की हाथ छोटी है शाकाहारी जानवर की याद बड़ी है यानी कि परमात्मा ने भी शाकाहारी और मांसाहारी दोनों में अंतर किया है इसके अलावा शाकाहारी मांसाहारी संप्रदाय धर्म बेबी एक बड़ा अंतर है जैसे मुस्लिम धर्म के अनुयाई बहुत लंबे उपवास रखते हैं जैसे कि रोजा इसकी वजह जो है लंबे समय तक व्रत रखने पर आपकी जो बॉडी है वह अपने आप को ज्यादा समय तक रिपेयर कर सकती है जबकि शाकाहारी हिंदू परंपरा में ज्यादा लंबे व्रत करने पर जोर नहीं दिया गया है बल्कि यह कहा जाता है कि उपवास के समय भी अल्फा आहार अल्प आहार लेते रहे पेट को पूरी तरीके से खाली रखने पर आयुर्वेद भी मना ही करता है ठीक उसके उल्टे मांसाहारी जानवर एक बार खाना खाने के बाद में महीनों तक खाना नहीं खाता है या उपवास करता रहता है जैसे शेर और अजगर ठीक इसी तरह मुस्लिम संप्रदाय के लोग भी काफी लंबे समय तक रोजा रखते हैं
यह कुछ ऐसे तथ्य है जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि मांस खाना से बेहतर है घास खाना लेकिन आप अपनी परिस्थिति के हिसाब से जो खा रहे हैं उसकी पूरी प्रक्रिया के हिसाब से यदि खाते हैं तो मांस खाना भी उचित ही है लेकिन स्पष्ट तौर पर कहा जाता है कि मांस खाने से आध्यात्मिक प्रक्रिया में बाधा पहुंचती है हलाकि मोहम्मद और जीसस दोनों आध्यात्मिक पथरिया की उच्चतम शिखर पर पहुंचने वाले मांसाहारी उदाहरण है तो यह तथ्य भी इतना सटीक नहीं है कि कहा जा सके मांसाहार अध्यात्म में भी केवल नुकसान पहुंचाता है इन तथ्यों के आधार पर आप निर्णय कर सकते हैं कि मांस खाया जाए या घास खाकर जिया जाए धन्यवाद

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

bhindi powder/bhindi powder online/असली भिंडी पाउडर/

पेशाब में चिपचिपा पानी निकलना हमेशा के लिए बंद करें